इस नियम के अनुसार B=1 / (6. Pi. h. r), जहाँ h द्रव का श्यानता गुणांक है।
2.
श्यानता गुणांक के शुद्ध, पूर्ण तथा ठीक ठीक निर्धारण के लिए यह आवश्यक है कि श्यानता के यथार्थ आयाम (exact dimensions) मालूम हों, पर यह कठिन कार्य है।
3.
सर्वप्रथम टॉमस ग्राहम (Thomas Graham) ने यह सुझाव दिया कि एक ही प्रकार की रचना के यौगिकों का श्यानता गुणांक नियमित ढंग से बढ़ सकता है, यदि उनके अणुओं या समूहों की संख्या बढ़ाई जाए।